
II साया II
II साया
II
तुम
करीब
मेरे
होने
से
सुकून
मेहसूस
करती
हूँ
न
जाणे
क्या
कशीश
तुम्हारी
इन
बाहो
के
फेरो
में
II
तुम
होणे
से
पास
मेरे
हौसले
बुलंद
हो
जाते
हैं
,
काटकर रख दु मै
आए
जाल
को
तेरे
रास्ते
में
II
तेरे
होणे
से
मेरे
आस
पास
महक
जाती
हूँ
मै
न
जाणे
क्या
राज
हैं
तेरे
इस
साये
में
II
यू
तो
मुझे
गवारा
नही
रह
जाऊ
तुमसे
दूर
जी
रहे
हैं
अब
तो
तुम्हारी
यादों
के
गर्दीशो
में II
मर
जाते
हैं
'तेरी
एक
मुस्कुराहट
पे
जरा
गौर
तो
करो
कोई
कसर
ना
छोडी
हमने
'तेरी
चाहत
में
II
तुम्हे
तो
कोई
आहट
भी
नहीं
होगी
हम
तेरे
आस
पास
हैं
पर
तुम
भी
समज
लेना
मौजूद
हूँ
मै
तेरे
इर्द
गिर्द
फिरती
फिजा में II
लगता
है
अब
होठो
को
मेरे
सिला
दु
,समजा
दु
ऊन
निगाहो
को
उलट
पूलट हो रहे हैं
हम
इस
यादो
के
भांवंडर
में
हर
एक
जगह
ऐसे
नहीं
जहाँ
आग
ना
हो
और
तुम
हास
रहे
हो
खील
जाएगी
ए धरोहर बस तुम
हरकत
कर
दो
...................II
कवी
संदीप
गायकवाड